Monday 26 December 2016

पृष्ठभूमिः
विनिर्माण क्षेत्र के विकास में तेजी लाने और वैज्ञानिक रूप से नियोजित शहरीकरण सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने विनिर्माण पर ध्यान देते हुए राज्य सरकारों के साथ भागीदारी में एकीकृत औद्योगिक गलियारों के विकास की रणनीति अपनाई है। भारत सरकार द्वारा इस सिलसिले में विकास के लिए इन पांच गलियारों की योजना बनाई जा चुकी है : - 
         दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी), चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (सीबीआईसी), अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारा (एकेआईसीसी), बेंगलुरु- मुंबई आर्थिक गलियारा (बीएमईसी) और वाइज़ैग-चेन्नई औद्योगिक गलियारा (वीसीआईसी)। 
         मौजूदा पांच औद्योगिक गलियारे वर्तमान में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों को कवर करते हैं।

(1) दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी)-

इस तरह का पहला औद्योगिक गलियारा है जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2011 में परियोजना कार्यान्वयन फंड के रूप में 17,500 करोड़ रुपए का अनुदान देकर मंजूर किया था। परियोजना विकास गतिविधियों के लिए 1,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कोष भी दिया गया। इसे परियोजना के पहले चरण में सात औद्योगिक शहरों के लिए पांच साल की अवधि में प्रदान किया जाना है। जापान की सरकार ने डीएमआईसी परियोजना के पहले चरण में 4.5 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता दी है।

जिन चार औद्योगिक शहरों / नगरों में निर्माण कार्य चल रहा है वो हैं : - 

1. गुजरात में अहमदाबाद के पास धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर), 
2. महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास शेंद्रा-बिदकिन औद्योगिक पार्क, 
3. उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा की एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप परियोजना, और 
4. मध्य प्रदेश में उज्जैन के पास एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप विला - एम उद्योगपुरी। 
डीएमआईसी के तहत अन्य परियोजनाएं योजना और विकास के विभिन्न चरणों में हैं।

(2) चेन्नई-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारा (सीबीआईसी) : 

प्रारंभिक मास्टर प्लानिंग के अंतर्गत विकास के लिए तीन नोड्स की पहचान कर ली गई है जो हैं - तुमकुर (कर्नाटक), कृष्णापट्टनम (आंध्र प्रदेश) और पोन्नेरी (तमिलनाडु)।

(3) बेंगलुरू - मुंबई आर्थिक गलियारा (बीएमईसी) : 

कर्नाटक राज्य सरकार ने विकास के लिए धारवाड़ नोड की पहचान की है। महाराष्ट्र सरकार ने सांगली या सोलापुर जिलों में एक नोड के विकास के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।

(4) अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (एकेआईसी)-

अपनी रीढ़ के तौर पर रेलवे के ईस्टर्न डैडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (आईडीएफसी) और इस रास्ते में मौजूद राजमार्ग का इस्तेमाल करेगा। इसकी योजना इस तरह से बनाई जा रही है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल इन सातों राज्यों में एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर होंगे।
बीएमईसी और एकेआईसी परियोजनाएं अभी परियोजना विकास के प्रारंभिक चरणों में हैं।

(5) वाइज़ैग चेन्नई औद्योगिक गलियारा (वीसीईसी) : 

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 में केन्द्र सरकार द्वारा की गई प्रतिबद्धता के अनुपालन में, भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा यह तय किया गया था कि एशियाई विकास बैंक जो व्यवहार्यता अध्ययन ईस्ट कोस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर (ईसीईसी) के लिए करवाता आ रहा था वो अब ईसीईसी के पहले चरण के तौर पर वीसीआईसी का भी ऐसा अध्ययन करवाएगा। उसके बाद बैंक के दल ने वीसीआईसी की वैचारिक विकास योजना (सीडीपी) से संबंधित अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। बैंक की सीडीपी में पहचाने गए आंध्र प्रदेश के विशाखापट्‌टनम, मछलीपट्‌टनम, दोनाकोंडा और श्रीकालहस्ती-येरपेडू इन चार नोड्स की मास्टर प्लानिंग की प्रक्रिया मार्च 2016 में शुरू हो गई और उसके मार्च 2017 तक पूरा हो जाने की संभावना है।

'दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा' का नया नाम 

'राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं कार्यान्वयन न्यास'


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना कार्यान्वयन न्यास निधि (डीएमआईसी-पीआईटीएफ) के विस्तार और राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास एवं कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) के रूप में इसके नए नामकरण को मंजूरी दे दी है ताकि औद्योगिक गलियारों का एकीकृत विकास हो सके। इस दौरान पहले से स्वीकृत वित्तीय सहायता राशि का उपयोग करने की अनुमति है और 31 मार्च 2022 तक की विस्तारित अवधि में 1584 करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि भी मंजूर है।

एनआईसीडीआईटी अब देश में सभी औद्योगिक गलियारों के समन्वित और एकीकृत विकास के लिए डीआईपीपी के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक शीर्ष निकाय होगा। यह निकाय सरकार और संस्थागत धन को यह सुनिश्चित करते हुए दिशा देगा कि विभिन्न गलियारों की ठीक से योजना बनाई जा रही है और लागू किया जा रहा है। इसमें औद्योगिक और शहरी विकास के बारे में व्यापक राष्ट्रीय दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखा जाएगा। यह परियोजना की विकास गतिविधियों का समर्थन करेगा। परियोजनाओं का मूल्यांकन, अनुमोदन और उन्हें स्वीकृत करेगा। यह औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के विकास के लिए सभी केंद्रीय प्रयासों में समन्वय करेगा और उनके क्रियान्वयन की निगरानी रखेगा।

एनआईसीडीआईटी के लिए शीर्ष निगरानी प्राधिकरण -

परियोजनाओं की प्रगति और एनआईसीडीआईटी की गतिविधियों की समय-समय पर समीक्षा के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक शीर्ष निगरानी प्राधिकरण गठित किया जाएगा। इसमें वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रभारी मंत्री, रेल मंत्री, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, जहाजरानी मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों के रूप में राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।

एनआईसीडीआईटी का न्यासी बोर्ड -


एनआईसीडीआईटी के न्यासी बोर्ड में (1) डीआईपीपी के अध्यक्ष - सचिव, (2) व्यय विभाग के सचिव, (3) आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, (4) सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव, (5) शिपिंग सचिव (6) रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, (7) नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, और (8) सदस्य सचिव शामिल होंगे जो एनआईसीडीआईटी के पूर्ण-कालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर भी काम करेंगे। डीएमआईसीडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी एनआईसीडीआईटी के सदस्य सचिव / सीईओ के रूप में कार्य करेंगे।

 

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