Monday 26 December 2016

बंदरगाहों के लिए ‘मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट, 1963’ की जगह अब ‘द मेजर पोर्ट ट्रस्ट अथॉरिटिज बिल 2016’

बंदरगाहों के लिए ‘मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट, 1963’ की जगह अब ‘द मेजर पोर्ट ट्रस्ट अथॉरिटिज बिल 2016’

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट,1963’ की जगह ‘द मेजर पोर्ट ट्रस्ट अथॉरिटिज बिल 2016’ को स्वीकृति दी है। बंदरगाह के बुनियादी ढांचे के विस्तार और व्यापार एवं वाणिज्य की सुविधाओं को को बढ़ावा देने के लिहाज से इस प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य निर्णय लेने की प्रक्रिया का ध्रुवीकरण करना और बंदरगाहों के संचालन में व्यावसायिकता को बढ़ावा देना है। नए मेजर पोर्ट ट्रस्ट अथॉरिटिज बिल 2016 तेजी प्रदान करने और निर्णयों को पारदर्शी बनाने में सहायक होगा जिससे हितधारकों को लाभ मिलेगा एवं परियोजनाओं के क्रियान्वयन क्षमता को बेहतर बनाया जा सकेगा। इस नए विधेयक का उद्देश्य सफल वैश्विक मानदंडों के मुताबिक केंद्रीय बंदरगाहों के संचालन मॉडल को केंद्रीयकृत करना और उसे नई दिशा देना है। इससे बड़े बंदरगाहों की संचालन प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएं-

  1. नया विधेयक मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट,1963 की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट है जिसमें 134 धाराओं की जगह सिर्फ 65 धाराएं होंगी और इनमें कोई दोहराव और अप्रचलित धाराएं नहीं हैं।
  2. नए विधेयक में बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड के ढांचे को सरल बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें केवल 11 सदस्य होंगे जबकि अभी विभिन्न हित समूहों के 17 से 19 सदस्य होते हैं। स्वतंत्र पेशेवर सदस्यों वाला एक कॉम्पैक्ट बोर्ड रणनीति की योजना बनाने और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने वाला होता है। 
  3. नए विधेयक में बड़े बंदरगाह जिस राज्यों में स्थित हैं, उन राज्य सरकारों के प्रतिनिधि को शामिल किए जाने का प्रावधान किया गया है। रेल मंत्रलाय, रक्षा मंत्रालय और राजस्व एवं सीमा शुल्क मंत्रालय, सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि के अलावा मेजर पोर्ट अथॉरिटी के कर्मचारी बोर्ड के सदस्य होते हैं।
  4. प्रमुख बंदरगाहों के लिए टैरिफ अथॉरिटी(टीएएमपी) की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित किया गया है। अब पोर्ट अथॉरिटी को बाजार की स्थितियों के अनुकूल टैरिफ तय करने जिम्मेदारी दी गई है, जो पीपीपी परियोजनाओं के लिए बोली लगाने के उद्देश्य के लिए सिफारिश किए गए मापदंडों पर टैरिफ सुनिश्चित करेगा। पोर्ट अथॉरिटी के बोर्ड को जमीनों सहित अन्य संपत्तियों और दूसरे बंदरगाहों की सेवाओं की कीमत तय करने की शक्ति दी गई है।
  5. एक स्वतंत्र समीक्षा बोर्ड प्रस्तावित किया गया है जो प्रमुख बंदरगाहों के लिए तत्कालीन टीएएमपी के पुराने मामलों को सुलझाएगा। इसमें बंदरगाहों और रियायतदार पीपीपी के विवादों को सुलझाएगा, पीपीपी परियोजनाओं की समस्याओं की समीक्षा करेगा और परियोजनाओं से जुड़ी पीपीपी संचालनकर्ताओं, बंदरगाह, निजी ऑपरेटरों के बीच होने वाले मसलों को लेकर शिकायतों पर सुझाव देगा।
  6. राष्ट्रीय हित, सुरक्षा और आपातकालीन मुद्दों, निष्क्रियताओं संबंधी मुद्दों को छोड़कर पोर्ट अथॉरिटी के बोर्ड को अनुबंध, योजना और विकास, टैरिफ तय करने का पूरा अधिकार दिया गया है। वर्तमान में, एमपीटी एक्ट 1963 के तहत केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन के 22 मामलों लंबित हैं।
  7. बोर्ड को बंदरगाह क्षेत्र में पाइपलाइंस, टेलीफोन, संचार टॉवर, बिजली आपूर्ति के लिए ढांचा सहित अन्य सुविधाओं को विकसित करने के संबंध में अपना मास्टर प्लान तैयार करने के लिए सशक्त बनाया गया है। धारा 22 के तहत पोर्ट से संबंधित प्रयोजनों के लिए पट्टे पर जमीन के 40 वर्षों के उपयोग जबकि किसी अन्य प्रयोजन के लिए इस तरह से 20 साल के लिए जमीन लेने के लिए बोर्ड को सशक्त किया गया है। हालांकि इससे इतर के प्रयोजनों के लिए केंद्र सरकार के अनुमोदन की जरूरत होगी। 

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